महान चिंतक 'एदुआरदो गालेआनो' कहते हैं कि हमारी संस्कृति 'डिब्बाबंद संस्कृति' है, जहां पर 'शादी' के अनुबंध पत्र को 'प्यार' से अधिक महत्व दिया जाता है, 'अंतिम संस्कार' को 'मृतक' से अधिक महत्व दिया जाता है, 'कपड़े' को 'शरीर' से अधिक महत्व दिया जाता है और 'धार्मिक अनुष्ठान' को 'ईश्वर' से अधिक महत्व दिया जाता है....
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एदुआरदो गालेआनो Uruguayan journalist and writer |
बात को आगे पढ़ते हुए कहा जा सकता है कि हिंदुस्तान की सरकार के द्वारा 'कॉरपोरेट' के हित को 'जनता' की हित से अधिक महत्व दिया जाता है।
मनीष सिंहा
कार्यकर्ता
आजादी बचाओ आंदोलन
इलाहाबाद(प्रयागराज)
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